क्या गुजरात का एक भी शहर महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं!
नेटवर्क 18 समूह की समाचार साइट IBNlive.com, एक सर्वेक्षण करा रही है, जिसमें लोगों से पूछा जा रहा है कि भारत का कौन सा शहर महिलाओं के लिए सबसे अधिक सुरक्षित है?
लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि गुजरात के एक भी शहर को इस सूचि मे शामिल नही किया गया है.
गौरतलब है कि गुजरात के शहर अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा, राजकोट आदि महिलाओं के लिए हमेशा से सुरक्षित माने जाते रहे हैं. इन शहरों का सूचि मे ही ना होना और दिल्ली का होना, इस पोल की निष्पक्षता पर सवाल खडे करता है.
कुछ लोगों ने भी टिप्पणी देकर इस पर आश्चर्य व्यक्त किया. मैने भी दो बार टिप्पणी दी, लेकिन मेरी टिप्पणियाँ अभी तक प्रकाशित नहीं की गई है.
कुछ मीडिया चैनलों और उनकी साइटों का गुजरात के प्रति विषम दृष्टिकोण हमेशा से दिखता आया है. इससे पहले भी गुजरात चुनाव के समय मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ मीडिया के कुछ हलके स्वर उठाते रहे थे और अनर्गल प्रचार भी करते रहे थे, लेकिन हकीकत यही है मोदी ना केवल जीते बल्कि भारी बहुमत से जीते.
इससे यही सिद्ध होता है कि हमारी मीडिया को जमीनी हकीकत की कोई जानकारी ही नही है.
क्या दंगे यहीं हुए है और भारत के अन्य किसी स्थान पर नहीं हुए हैं. यदि नहीं तो क्या पूरे देश को असुरक्षित समझा जा सकता है?
हमारी टीम ने यहाँ कई लोगों से इस बाबत पूछा तो सभी ने आश्चर्य व्यक्त किया कि गुजरात का एक भी शहर सूचि मे नही है.
श्री माणेकभाई शाह ने कहा कि, खबरी चैनल और विशेषकर आईबीएन का गुजरात के प्रति भेदभाव जगजाहिर है. लेकिन ऐसा करके वे मात्र सस्ती लोकप्रियता ही हासिल कर सकते हैं और कुछ नहीं.
यहाँ के जुहापुरा (मुस्लिम बहुल) इलाके के श्री जावेद फार्रूकी के अनुसार, अहमदाबाद मे महिलाएँ सबसे अधिक सुरक्षित हैं और मुसलमान भी. यह तो खबरी चैनल हैं, जिन्हे मात्र सनसनी फैलानी ही अच्छी लगती है.
5 Comments:
....के खिलाफ मीडिया के कुछ हलके स्वर उठाते रहे थे और अनर्गल प्रचार भी करते रहे थे,
हल्के स्वर...? हल्के स्वर नहीं भाई भारी शोर मचाया था कुछ चैनलों ने पर दाल गली नहीं, और ज्यादा शोर मचाने के चक्कर में जिन्हें ये अपने दुश्मन मानते रहे उन्हीं का प्रचार कर बैठे।
मुझे नहीं लगता किसी ऐरे गैरे चैनल के फालतू सर्वेक्षण में गुजरात के किसी भी शहर को शामिल किये जाने की जरूरत है।
इस तरह के सर्वे सस्ती और घटिया लोकप्रियता के किए जाते हैं। पहले से ही लोगों को यह बता दिया जाता है कि आपको क्या बोलना है, क्या कहना है। टिप्पणियां और कमेंट तो अपने स्टॉफ के लोगों से भी डलवाई जाती है वह भी फर्जी नामों और आईडी से। ताकि आम जनता यह समझें कि यहां तो जोरदार रिस्पांस दिख रहा है। अनेक चैनल हैड लोकसभा और राज्यसभा में पहुंचने के लिए इस तरह के सर्वे और न्यूज दिखा दिखाकर सत्ताधारी पार्टी के चमचे बन जाते हैं। पत्रकारिता के आदर्श और मूल्यों को ठिकाने लगा दिया है आईबीएन ने। चार साल पुराना शेर का हमला का यूटयूब से चुराकर विजुअल दिखाया जा रहा था एक दिन इस चैनल पर। काम कम और यूटयूब से चुराने की मेहनत ज्यादा कर रहे है तो घटिया सर्वे ही कराएंगे। गुजरात के किसी भी शहर में महिलाएं उतनी परेशान नहीं है जितनी दिल्ली में है। गुजरात पूरी तरह महिलाओं के मामले में सुरक्षित है। यदि आईबीएन इस राज्य के किसी भी शहर या गांव को सुरक्षित नहीं मानता तो यह बताएं कि कहां सबसे ज्यादा बुरी घटनांए घटी है।
आईबीएन इस तरह के सर्वे कराकर क्या सिद्ध करना चाहता है। सस्ती लोकप्रियता के लिए इस तरह के सर्वे होना नई बात नहीं हे। यह चैनल गुजरात में विधानसभा चुनाव के समय ही अपनी विश्वसनीयता खो बैठा है। चुनाव के समय लग रहा था कि नरेंद्र मोदी के खिलाफ कांग्रेस या दूसरे दल नहीं बल्कि आईबीएन चुनाव लड़ रहा है। गुजरात का कोई शहर महिलाओ के लिए सुरक्षित नहीं है तो फिर यह चैनल जलदी से यह बताएं कि गुजरात के किस शहर में भारत के किसी भी शहर की तुलना में सबसे ज्यादा बलात्कार, छेडछाड की घटनाएं, विनयभंग के प्रयास सहित महिलाओं की हत्या की घटनाएं घटी। इस सवाल का जवाब दे चैनल।
अरे भैया आप भी....ये लोग जिसका ठेका लिये रहे ओही काम तो करेंगे आप काहे इनसे खामखा में पत्रकारिता कराने तुले हैं :)
काहे परेशान हो रहे हो??
ये सिर्फ शब्दों का हेर फेर है-दरअसल वो जानना चाह रहे हैं कि इसमें सबसे कम खतरनाक कौन सी...जैसे कि सारे बदमाशों के बीच से कम बदमाश को चुनना हो..तो शरीफ आदमी का उस लिस्ट में क्या काम!!!
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