1.12.08

पद्मश्री विनोद दुआ साहब, क्या आपने यह सुना था?

शनिवार दोपहर 1.30 के करीब जब मैं सभी समाचार चैनलों को एक के बाद एक बदल रहा था, तब थोडी देर के लिए ज़ी न्यूज़ पर रूका क्योंकि वहाँ नरीमन हाउस के पास खडे लोगों से बातचीत की जा रही थी.

एंकर ने लोगों से पूछ कि वे 2 दिन से वहीं खडे एन.एस.जी. की कार्रवाही देख रहे हैं तो उन्हे कैसा लग रहा है? मैने देखा भीड के पीछे से एक बुजुर्ग बाहर आया और उसने अपना नाम बताया जिससे पता चला कि वह मुस्लिम है.

उस बुजुर्ग ने कहा कि, सरहद पार के लोग हमें बाँटना चाहते हैं लेकिन हम बँटेंगे नहीं साथ जीएँ है और साथ मरेंगे. फिर उस नेकदिल इंसान ने "भारत माता की जय" और "वन्दे मातरम" के नारे लगाए.

मुझे गुरूवार की रात एनडीटीवी पर श्री विनोद दुआ का शो याद आ गया. वे बता रहे थे कि ट्राइडेंट होटल में एन.एस.जी. के आने पर लोगों ने "भारत माता की जय" के नारे लगाए. श्री विनोद दुआ बार बार कह रहे थे, एक खास मजहब के नारे लगा रहे हैं लोग... दूसरे मजहब के क्यों नहीं... ना जाने कितनी बार उन्होनें यह कहा.

अब वे ही यह तय करें "भारतमाता की जय" कौन से मजहब का नारा है? वे कृपया यह भी सोचें कि "इंडिया को कौन तोड रहा है?"

एनडीटीवी की फूटेज तो उनके पास होगी ही, ज़ी न्यूज की वे प्राप्त कर देख लें.

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18 Comments:

Blogger बाल भवन जबलपुर said...

इन बेचारों से कहा जाए की टी आर पी बुरी बला है भाई
इनके सुरीले राग इन को ही मुबारक हों
हम तो पंकज जी आतंकवाद के विरुद्ध एक
वैचारिक क्रांति का सूत्रपात करें

11:29 AM, December 01, 2008  
Blogger CG said...

भारत माता की जय
जय हिन्द
वंदे मातरम

मातृभूमी से बड़ा धर्म कोई नहीं. और यह धर्म देश के हर नागरिक का है.

जय हिन्द

12:11 PM, December 01, 2008  
Blogger Unknown said...

विनोद दुआ की आपत्ति मुख्यतः "वन्देमातरम" पर थी, और आप जानते ही हैं कि वन्देमातरम पर कौन-कौन आपत्ति करता है… अपने मालिकों का खाते-खाते ये नौकर पत्रकार भी उन्हीं जैसे "सेकुलर" हो गये हैं…

12:20 PM, December 01, 2008  
Blogger डॉ .अनुराग said...

मीडिया को भी अभी सीखना होगा की कैसे आतंकवाद हादसे की रिपोर्टिंग की जाये.....एक चीज होती है सवेदनशीलता ...आप किसी भी पेशे में हो आपको इसे बनाए रखना होगा ..ऐसे हालात पर मीडिया पर दोहरी जिम्मेदारी होती है सिर्फ़ ख़बर दिखा भर देना ही अपनी जिम्मेदारी से मुक्त होना नही है

12:24 PM, December 01, 2008  
Blogger Ashok Pandey said...

आपने सही सवाल उठाया है। इस देश का आम आदमी हिन्‍दू मुस्लिम एकता में पूरा विश्‍वास रखता है और इसी विश्‍वास के साथ जीवन जीता है। इनके अलग अलग होने की बात वे करते हैं जो भाईचारे, प्रगतिशीलता और सेकुलरिज्‍म का नारा लगाते हैं।

12:28 PM, December 01, 2008  
Blogger Sanjeev said...

चैनल्स के एंकरों पर क्या लिखें? यह भी तो नेताओं की तरह सिर्फ अपना फायदा नुकसान देखकर बात करते हैं। इनका बस चले तो हर बात पर आपसे sms मांग लें।

1:04 PM, December 01, 2008  
Blogger कंचन सिंह चौहान said...

मन कुढ़ गया था मेर सुन के विनोद दुआ की बात.... ठीक उसी समय मैं अपने घर में साम्यवाद को लेर चल रही बहस में साम्प्रदायिकता के खिलाफ कड़े तेवरों में बोल रही थी... विनोद दुआ की बात सुन के सब ने मुझसे कहा कि साम्यवाद का मतलब ये होता है आज....! और मेरे पास जवाब कुछ नही था।

1:15 PM, December 01, 2008  
Blogger Akhil said...

plz aise mat boliye unko. dua sahab bahut dinon se gali gali jaake jalebi khaate ghoomte hein. ho sakta hai kai din se bechare khuli hawa mein aaye hi na hon to bhool gaye honge ki ye jaykaare bharat desh ke liye hein naa ki kisi ek majhab ke.
ismein unka kya dosh..

ye hamare desh ka vo varg hei jise sahi bolne samajhne ki samajh na hone ke baawjood kuchh channels ne jabardasti buddhijivi hone ki sanghya de di hei.. kuchh nahi ho sakta inka..

in saalon ka sabhi se 1st question yahi hota hai - aapko kaisa lag raha hai abhi. wahan 200 laashen padi hein aur ye saale poochhte hein kaisa feel kar rahe hein..

1:42 PM, December 01, 2008  
Anonymous Anonymous said...

विनोद जी ने किस बारे में कहा, हम लोगों से सुनने समझने में कोई गलती हो रही है शायद।

2:29 PM, December 01, 2008  
Blogger sarita argarey said...

पद्म पुरस्कार का बोझ बहुत भारी होता है । समय - समय पर नमक का कर्ज़ भी अदा करते रहना ज़रुरी है । फ़िर अंतरराष्ट्र्रीय स्तर के पत्रकार कहलाने और नामी गिरामी खिताब हासिल करने के लिए ऎसे कुछ जुमले उछालने में हर्ज़ ही क्या है ..? वैसे भी हम भारतीयों की मानसिकता ही अब कुछ ऎसी बन गयी है कि जो लतियाये - गरियाये उसे ही हम महान समझते हैं । पद्मश्री विनोद दुआ को महान हमने ही बया है , सो उनसे गिला कैसा ...?

3:28 PM, December 01, 2008  
Blogger भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

भैया, मुझे तो लगता है कि एक प्रेस कान्फ्रेंस कर घोषणा कर दूं कि पूरे मामले की न्यायिक जांच हो, जो कमांडो शहीद हुये वे अपने ट्रांसफर पोस्टिंग में लगे थे, मैं भी नेता बन जाऊंगा और संसद पहुंच जाऊंगा और धर्मनिरपेक्ष कहलाऊंगा.

4:09 PM, December 01, 2008  
Blogger amit said...

मेरा तो यह मानना है कि इस तरह कौमी द्वेष फैलाने वाले लोगों को देशद्रोही करार देकर तड़ीपार कर देना चाहिए।

इन जैसे गंवारों से पूछना चाहिए कि क्या धर्म के नाम पर वे अपने अपने माता पिता को नीलाम कर देंगे या उनका कत्ल कर देंगे?? माता से बड़ा तो मनुष्य के लिए कोई नहीं होता, ईश्वर भी नहीं यदि आप ईश्वर में आस्था रखते हैं। और यह भारतभूमि हर नागरिक की माँ ही है जिसकी मिट्टी में हम पैदा हुए और जहाँ हमारा बचपन खेलकर जवान हुआ, इससे बड़ा कोई धर्म कैसे हो सकता है? क्या माता का भी कोई धर्म होता है?

राष्ट्र से बड़ा कोई नहीं होता - ना ही नागरिक और ना ही धर्म। राष्ट्र है तो नागरिक का अस्तित्व है अन्यथा नहीं!!

पर कदाचित्‌ टीआरपी की हवस के मारे और ईमान को किसी नाली में बहा चुके इन लोगों को यह बात कभी समझ नहीं आ सकती!!

4:42 PM, December 01, 2008  
Blogger सागर नाहर said...

गाली देने का मन हो रहा है पर क्या करूं, इन जैसा हुआ भी तो नहीं जाता। एक देशद्रोही के लिए समय और शब्द बेकार क्यों करें?
फिर भी इतना तो कह ही देता हूँ..इन जैसों के लिए कलम के तीर नहीं असल के जूतों से पिटाई होनी चाहिये, और हर जूते के सथ इनसे वन्दे मातरम बुलवाना चाहिये।

5:31 PM, December 01, 2008  
Blogger चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

विनोद दुआ टीवी के स्टार परफार्मर रहे हैं। उन्हें देशहित को ध्यान में रख कर बात करना चाहिए। टी आर पी का ध्यान रखने वाले और हैं ना!

6:20 PM, December 01, 2008  
Blogger Anil Pusadkar said...

दिल्ली का सबसे बडा दल्ला है वो.उसे भारत माता से कोई लेना-देना नही है,उसे मतलब है अपने आकाओ से.

6:39 PM, December 01, 2008  
Blogger Kavita Vachaknavee said...

सही बात है, लाखों लोगों ने इसे देखा। मैं व मेरे कई मित्र इसके गवाह हैं।

हमीं तो हैं वे गद्दार जो माँ के साथ व्यभिचार करते सीना ठोक कर दूसरों को करणीय-अकरणीय का पाठ पढ़ाते हैं। वही दुआ जी उचारे। पद्मश्री जो ठहरे और उन सब से बढ़कर मीडिया उनके अधिकारक्षेत्र में है।

6:42 PM, December 01, 2008  
Blogger Arun Arora said...

देश के गद्दारो को
गोली मारो सालो को
नेता हो या हो पत्रकार
सब के लिये हो यही विचार

9:30 AM, December 02, 2008  
Blogger Arun Arora said...

संगत का असर होता है जी बंदा चोरो मे बैठेगा तो चोरी ना करे हेरा फ़ेरी तो करेगा ही ना.

9:54 AM, December 02, 2008  

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