एक मज़ेदार वाकया
कल कुछ युँ हुआ।
मैं एक क्लाइंट से मिलकर वापस ऑफिस लौट रहा था। जैसे ही मैने कार को मुख्य सडक पर घुमाया मैने देखा कि मेरे ठीक आगे स्कूटर पर एक युवती जा रही है, जिसके स्कुटर के पीछे एक बच्चा बैठा हुआ है जिसका चेहरा मेरी तरफ है, यानि कि वो उल्टा बैठा हुआ है।
मुझे थोडी शरारत सुझी तो मैने अपना नाक सिकोड कर उसे चिढाया, पहले तो उसने मुँह फेर लिया फिर थोडी देर बाद मुस्कुराता हुआ मेरी तरफ देखने लगा। मैने अब जीभ निकाल कर चिढाया, उसने भी प्रतिउत्तर दिया। मुझे हँसी आई, मैने अब चेहरे को इधर उधर मोडकर चिढाना शुरू किया, उसने भी किया।
अजीब संयोग यह था कि मुझे जिधर मुडना होता था, वो लडकी भी मेरे आगे आगे ठीक उसी रस्ते पर जाती थी।
अंत में जब ऑफिस थोडी ही दूर थी तब मैंने चिढाना बन्द कर दिया क्योंकि थक गया था। लडका अभी भी मुझे हंसते हुए देख रहा था और उकसा रहा था। मैने नजरें हटाकर इधर उधर देखा तो अचानक ही मेरा ध्यान लडकी के स्कूटर के रीयर मिरर पर गया। वो लडकी मुझे ही देख रही थी और बुरी तरह आग बबुला हो रही थी। उसे शायद लग रहा था कि मै उसे ईशारे कर रहा हुँ।
मेरी सिट्टी पिट्टी गुम हो गई। मैने उसे ओवरटेक कर आगे जाना चाहा पर उसने अपने स्कूटर की रफ्तार काफी बढा ली थी। लेकिन अभी भी हम दोनों के रास्ते एक ही थे। वो जिधर मुडे उधर मैं भी मुडुं। मैने सोचा है प्रभु इसे ऑफिस वाली सोसाईटी में ना जाना हो तो अच्छा है, नहीं तो जूते पडने वाले हैं।
लेकिन गनिमत है कि ऑफिस आने से ठीक पहले वो तेजी से आगे निकल गई, और मेरी सांस में सांस आई।
बोधपाठ: वाहन चलाते समय बच्चों को चिढाना हानिकारक हो सकता है।