बन्दर चला फोटु खिंचवाने
समाजवादी बन्दर उलझन में पडा हुआ नए मुद्दे ढुंढ रहा था ताकि विरोध जारी रह सके ... और एक दुसरी नस्ल का बन्दर - जिसे समाजवादी बन्दर कट्टर हिन्दुवादी और 5 करोड विशेष नस्ल के गधे अपना नेता मानते हैं - भी एक उलझन में पडा हुआ है कि अब किस पोज में फोटु खिंचवाई जाए।
इसी उलझन में केसरीया चेहरे वाला बन्दर पहुँचा अपने हमराही मराठा शेर के पास...
मराठा शेर: आओ.. मराठा बाघ गुजराती शेर का स्वागत करता है।
बन्दर: ही ही.. इलाज करवाओ गुरू.. खुद पे शक हो रहा है.. पहले तय करो शेर हो कि बाघ.. और चश्मा लगाओ और देखो कि मैं कौन हुँ।
मराठा शेर: औह.. बुढापे का असर.. खैर तुम जो भी हो मेरे प्रिय हो.. मेरी नस्ल के ना सही.. पर शेर हो।
बन्दर: कोई शक नहीं.. आप महान हो.. और जेनुइन महान हो। आपकी दहाड सुनकर ही बडा हुआ हुँ।
मराठा शेर: मेरा जंगल सेफ है, बर्रखुद्दार। मेरी दहाड से तो पुरा बीहड काम्पता है।
बन्दर: फिर भी अपनी गुफा में ही पडे हो... ऐसे दिन आ गए।
मराठा शेर: शेर जंगल में भटके कि गुफा में पडा रहे.. शेर शेर होता है।
बन्दर: गालिब के प्रशंसक हैं आप.. जाहिर है.. कि दिल बहलाने के लिए गालिब....
मराठा शेर: यह ख्याल भी अच्छा है... ही ही ही... तुम मेरे शिष्य हो.. तुम्हें जुर्रत का अधिकार है। तुम काबिल भी हो।
बन्दर: मैनें चार चाँद लगा दिये गुर्जर जंगल में... मैने क्या क्या कर दिया.. क्या क्या नहीं कर दिया... लोग हैरान है परेशान है... कि क्या कर दिया।
मराठा शेर: "परेशान हैं" मत बोल बेटा... मुद्दा तलाशते लंगुरों को फोगट में चांस मत दे।
बन्दर: वे भी बन्दर ही हैं.. लंगुर नही है.. गुलाटी ही मारते हैं।
मराठा शेर: नस्ल तो एक जैसी ही है भाई.. बस तुम्हारा चेहरा केसरी टाइप का कुछ है.. उनका...
बन्दर: हरा है.. ही ही... अरे कुछ लाल भी हैं गुरू।
मराठा शेर: लाल मुँह वाले बन्दरों की नस्ल कुछ गडबड है.. साले तय ही नहीं कर पाते कि किस डाल बैठना है। सारा दिन उछलते रहते हैं।
बन्दर: हा हा हा... सही कहा गुरू। उनको चायनीज़ पेड माफिक आते हैं। अब भारत में कहाँ मिले?
मराठा शेर: और क्या तो.. और यु.पी. में ज्यादातर पाए जाने वाले हरे.. भुरे.. मिश्रीत जाति के बन्दर बडे खतरनाक होते जा रहे हैं. सुना है.. काटने को दौड पडते हैं।
बन्दर: ना.. ज्यादा दिन ना चलेंगे.. कुपोषण के शिकार हैं.. ज्यादा होंगे तो अपनी हिन्द केसरी बन्दर फौज को लगा देंगे पीछे।
मराठा शेर: सम्भाल उनको.. हिन्द केसरी फौज.. ज्यादा नेताजी मत बन भैये... कि..
बन्दर: घर बैठना पडे यही ना? इस मुगालते में मत रहना... तुम गुफा में आराम करो। मैं राज करूंगा।
मराठा शेर: गधों के भरोसे मत रहना.. आज साथ चलने का कहकर कल मिट्टी में लौट पडेंगे।
बन्दर: गधे हैं.. गुरू.. यही प्लस पोइंट है। जुताए रखो.. जुते रहेंगे। लगे रहो।
मराठा शेर: बडा शेर हो गया है...सुना है सरदार को आजकल सिधा ललकारने लगा है।
बन्दर: सरदार की क्या औकात! बोलो.. सब जानते हैं नाम का सरदार है.. असली मालकिन तो विलायती लोमडी है।
मराठा शेर: हाँ रे। ऐसे प्राणि भी किस काम के... अपने साले बन्दर ही सही.. पर कुछ तो हैं। सरदार और उसके साथीयों का पता ही नहीं कि है क्या।
बन्दर: यार.. तुम शेर हो मियाँ भुला ना करो।
मराठा शेर: एक ही बात है.. कौन पुछता है वैसे भी आजकल।
बन्दर: वो सब छोडो.. मेरी नई फोटो देखो.. मस्त खद्दर के कुर्ते में.. खादी दिन पे खरीदा एक फुट कपडा और 5 फुट का फोटु लगाया सडक पे।
मराठा शेर: तु भी स्साला नोट है। काम करता है.. छँटाक भर पर फोटु लगवाता है 20 फुट की।
बन्दर: मार्केटिंग गुरू .. मार्केटिंग।
मराठा शेर: हुँ मार्केटिंग.. ज्यादा बकबक मत करियो बन्दरु लग जाएगी.... पिछले दो सरदारों ने चुनाव से पहले कि थी..एक फोटु टंगवाता था एक भारत का उदय करवाता था.. क्या हुआ.. लग गई ना।
बन्दर: अरे अपना युपी वाला समकक्ष बन्दरु भी उछलने लगा... गुरू.. ही ही.. नट को नचवाके बोले कि उग गया नया सुरज।
मराठा शेर: किधर उगा रे.... सब जगह अन्धेरा लागे है.. सुबह हो गई क्या।
बन्दर: युपी में हो गई.. गुरू।
मराठा शेर: गुर्जर प्रदेश में कब होगी?
बन्दर: बस होने को है.. गुरू.. बल्कि हुई हुई है। उजाला ही उजाला है। इस बात पर यह लेटेस्ट पोज तो देखो।
[इस साल की आखिरी पोस्ट... जंगल में मंगल जारी...]