सरदार सरोवर पर मैं (2)
सरदार सरोवर पर बांध को देखने के लिए 3 पोइंट है. एक तलह्टी में है, जहाँ से बांध को नीचे से देखा जा सकता है. पर वहाँ कम ही लोग जाते हैं. दुसरा सबसे अधिक उपयोगी पोइंट थोडा उँचाई पर है, जहाँ से बांध एकदम समकक्ष नज़र आता है, वह बांध के दाँइ ओर है.
सरदार सरोवर पर मैं और पूजा
यहाँ से बांध का नज़ारा बडा ही मनमोहक है. सामने ही सरदार पटेल की प्रतिमा लगी है, जो शायद 12-15 फूट उँची होगी. प्रतिमा इस तरह से स्थापित की गई है कि सरदार का मुँह बांध की तरफ रहता है, मानो वे अपने सपने को साकार होते हुए देख रहे हों.
यँहा से एक रास्ता नीचे भूगर्भ में स्थित पावर स्टेशन की तरफ जाता है, जँहा दूर्भाग्य से मै नहीं जा पाया क्योंकि वर्जीत है.
इस बांध को बनाने में उपयोग में आने वाले कोंक्रीट को दो बडी बडी क्रेनो के सहारे एक महामोटी रस्सी पर कंटेनर लटका कर भेजा जाता है. उपरोक्त तस्वीर में मेरे पीछे एक तरफ की क्रेन नज़र आ रही होगी. आश्चर्य ना करें पर ये क्रेनें दुनिया की सबसे बडी क्रेने हैं. और जो मसाला रस्सीयों पर झुलता जाता हुआ दिखाई देता है, वो लगता तो एक गिलास जितना है पर वास्तव में एक बडे ट्रक में आ जाए उतना होता है.
बांध को निहार लेने के बाद आगे बढते हैं, बीच में रास्ते के उपर से आपको मोटे मोटे बिजली के तार गुजरते हुए दिखते है. उनमें कितनी मेगावॉट बिजली गुजरती है वो तो पता नही पर जोर जोर से सन-सन की आवाज़ सुनाई देती है, जो रोंगटे खडे कर देती है.
थोडा आगे जाने पर बांध की वजह से बनी एक बहुत बडी झील आती है. प्रशासन ने यहाँ बैठक की व्यवस्था की है. आप आराम से कुर्सीयों पर बैठकर दूर तक पानी ही पानी को निहार सकते है. पर पत्थर वगैरह फेंकना मना है.
वहाँ से आगे चलें तो नर्मदा मुख्य नहर का आरम्भ स्थल आता है. यहाँ से पानी मुख्य नहर में बहना शुरू होता है.
यहाँ का वातावरण बहुत ही खुबसुरत है, ऐसा लगे जैसे किसी हिलस्टेशन पर आ गये हों.
एकबार जरूर घूम आइएगा.