31.12.08

नव वर्ष की शुभकामनाएँ

नव वर्ष की शुभकामनाएँ मित्रों. नववर्ष मंगलमयी रहे.

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27.12.08

जानवरों से बदतर हालत! क्या ऐसे तैयार होंगे भविष्य के खिलाडी?

भारतीय खेल अधिकारी खेलों के विकास के प्रति कितने जवाबदेह हैं इसकी एक मिसाल देखने को मिल रही है दिल्ली में चल रहे राष्ट्रीय स्कूल खेलों में. इन खेलों मे भाग लेने भारत भर की स्कूलों से विद्यार्थी आए हुए हैं. लेकिन वे जिस हालात में रह रहे हैं, वह ना केवल शर्मनाक है बल्कि चिंताजनक भी है.

अहमदाबाद मिरर की खबर के अनुसार इन खेलों मे भाग लेने गुजरात से गए बच्चों को एक ऐसी इमारत में ठहराया गया जो कभी भी गिर सकती है! [खुद इमारत की बाहरी दिवार पर लिखा है - मुंडेर और छज्जे कमजोर हैं, कभी भी गिर सकते हैं, नीचे खडे ना हों]. आप ही सोचिए ऐसा संदेश पढने के बाद किसकी हिम्मत होगी उसी इमारत मे रहने की.

और तो और बच्चों को उस स्कूल [जीवन विकास विद्यालय, मोडल टाउन, दिल्ली] के एक कमरे में ठुंस कर रखा गया. एक छोटे से कमरे में (जिसे करीब 15 साल बाद खोला गया) 40 बच्चे! उनके बीच एक ही शौचालय, वह भी गंदा, उपर से पानी का रिसाव. कई बच्चों को तो उल्टियाँ होने लगी. दिल्ली की सर्दी में उनके पास नहाने के लिए गर्म पानी भी नहीं है, पाइप के सहारे खुले मे नहाना पड रहा है!

उपर से आयोजकों का तुर्रा यह कि वे हरसम्भव बेहतर प्रयास कर रहे हैं. और तो और इन खेलों का उद्घाटन भी मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने किया था, जो आगामी कोमनवेल्थ खेलों के आयोजन को लेकर उत्साहित हैं. लेकिन उन्हें ही शायद पता नहीं कि कोमनवेल्थ तो छोडिए, छोटे से राष्ट्रीय स्कूल खेल भी किस घटिया तरीके से आयोजित हो रहे हैं.

बहरहाल अब गुजरात सरकार ने राज्य के बच्चों को इस "यातना शिविर" से हटाकर गुजरात भवन पहुँचा दिया है, जहाँ वे आराम से रह रहे हैं. लेकिन दूसरे राज्य के बच्चों का क्या? भविष्य के खिलाडी क्या खूब तैयार हो रहे हैं!

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1.12.08

पद्मश्री विनोद दुआ साहब, क्या आपने यह सुना था?

शनिवार दोपहर 1.30 के करीब जब मैं सभी समाचार चैनलों को एक के बाद एक बदल रहा था, तब थोडी देर के लिए ज़ी न्यूज़ पर रूका क्योंकि वहाँ नरीमन हाउस के पास खडे लोगों से बातचीत की जा रही थी.

एंकर ने लोगों से पूछ कि वे 2 दिन से वहीं खडे एन.एस.जी. की कार्रवाही देख रहे हैं तो उन्हे कैसा लग रहा है? मैने देखा भीड के पीछे से एक बुजुर्ग बाहर आया और उसने अपना नाम बताया जिससे पता चला कि वह मुस्लिम है.

उस बुजुर्ग ने कहा कि, सरहद पार के लोग हमें बाँटना चाहते हैं लेकिन हम बँटेंगे नहीं साथ जीएँ है और साथ मरेंगे. फिर उस नेकदिल इंसान ने "भारत माता की जय" और "वन्दे मातरम" के नारे लगाए.

मुझे गुरूवार की रात एनडीटीवी पर श्री विनोद दुआ का शो याद आ गया. वे बता रहे थे कि ट्राइडेंट होटल में एन.एस.जी. के आने पर लोगों ने "भारत माता की जय" के नारे लगाए. श्री विनोद दुआ बार बार कह रहे थे, एक खास मजहब के नारे लगा रहे हैं लोग... दूसरे मजहब के क्यों नहीं... ना जाने कितनी बार उन्होनें यह कहा.

अब वे ही यह तय करें "भारतमाता की जय" कौन से मजहब का नारा है? वे कृपया यह भी सोचें कि "इंडिया को कौन तोड रहा है?"

एनडीटीवी की फूटेज तो उनके पास होगी ही, ज़ी न्यूज की वे प्राप्त कर देख लें.

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